द स्वॉर्ड ऑफ़ इण्डिया
न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली । गुजरात, राजस्थान और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में पेट्रोल पंपों पर diesel की किल्लत की खबरें आने के बाद तेल कंपनियों ने इसका खंडन किया है। तेल कंपनियों का कहना है ।
डीजल की सप्लाई में कोई दिक्कत नहीं है। वहीं सूत्रों का कहना है कि सरकार डीजल का निर्यात कुछ समय के लिए बैन करने पर भी विचार कर सकती है।
यह विचार अभी शुरुआती स्तर पर है। ऐसा विचार इसलिए किया जा रहा है क्योंकि आने वाले समय में कृषि समेत अन्य सेक्टर में डीजल की डिमांड बढ़ सकती है। उस डिमांड को पूरा करने के लिए अभी से तैयारी की कोशिश हो रही है।
बता दें कि राजस्थान, उत्तराखंड और गुजरात के कुछ हिस्सों में पेट्रोल पंपों पर डीजल लेने वालों की लंबी लाइन लगने की खबरें सामने आ रही हैं। यहां तक कि भीड़ को देखते हुए कई डीलरों ने अपन आउटलेट तक बंद कर दिए। इससे इस बात को हवा मिली कि डीजल की किल्लत है।
इस पर इंडियन ऑयल के मार्केटिंग डायरेक्टर वी, सतीश कुमार ने ट्वीट किया कि कंपनी के आउटलेट में पेट्रोलियम उत्पादों की उपलब्धता सामान्य है। पेट्रोलियम उत्पादों की उपलब्धता को लेकर घबराएं नहीं।
निर्यात पर जोर दे रहीं कंपनियां : सूत्रों के अनुसार रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण डीजल की कीमत में इजाफा हुआ है। यही कारण है कि प्राइवेट कंपनियों ने घरेलू हो रहा है।
बिक्री को कम करके इसके निर्यात को बढ़ाना शुरू कर दिया है। देश में जितने डीजल की बिक्री होती है, उसमें प्राइवेट कंपनियों की हिस्सेदारी 10 फीसदी है, मगर अप्रैल में यह घटकर 7 फीसदी रह गई। मई के आंकड़ों में यह पांच फीसदी रह सकता है।
इसका मतलब है कि प्राइवेट कंपनियां जितना डीजल पहले घरेलू मार्केट में बेचती थीं, उसकी मात्रा उन्होंने आधा कर दी है। इससे सरकारी कंपनियों पर बोझ बढ़ गया है। इसके अलावा कुछ रिफाइनरीज में तकनीकी कारणों से अपनी क्षमता कर दी है। इससे भी डीजल का उत्पादन प्रभावित हुआ है।
तेल कंपनियों को नुकसान : तेल कंपनियों को कई मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी चुनौती है कि कच्चे तेल के बढ़ते दाम।

इस वक्त कच्चे तेल का दाम 120 से 124 डॉलर के बीच है, मगर इसके बावजूद तेल कंपनियों ने 6 अप्रैल के बाद से पेट्रोल और डीजल के रिटेल दाम नहीं बढ़ाए हैं। इससे कंपनियों को पेट्रोल पर प्रति लीटर करीब 16 से 19 रुपये और डीजल पर करीब 18 से 20 रुपये प्रति लीटर का नुकसान