द स्वार्ड ऑफ़ इंडिया
कानपुर । Kanpur– छोटी अवधि की संभावित चुनौतियों के बावजूद, डीएसपी इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स को पक्कार भरोसा है कि भारत की कहानी (इंडिया स्टोारी) अब एक वास्तविकता है। अपने वार्षिक नोट – ‘2023, इट्स ए रिलेटिव वर्ल्डृ’, में डीएसपी का कहना है कि देश में हो संरचनात्मक बदलाव में कई घटकों से तेज़ी आ रही है जिसमें शामिल है कॉर्पोरेट्स द्वारा लाभ उठाया जाना, मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में क्षमता इस्ते माल में वृद्धि, इन्फ्रास्ट्रक्चर में सरकारी निवेश और अच्छी तरह पूंजीकृत बैंकिग प्रणाली। यह निवेशकों के लिए एक बड़े बदलाव और महत्वपूर्ण अवसर का प्रतिनिधित्व करता है क्योंकि इंडिया वैश्विक इकनॉमिक पोजिशन में लगातार बढ़ोतरी कर रहा है।
इस नोट में यह उल्लेख किया गया है कि परजेंट टाइम में 2 जोखिम कारक हैं जिन पर सोचा किया जाना चाहिए: ब्याज दर एवम विकास। जबकि सेंट्रल बैंकों द्वारा इस वक्त विकास की जगह महंगाई पर नियंत्रण को प्राथमिकता दी जा रही है, वहीं मंहगाई से जुड़े दबाव के कम होने के संकेत मिल रहे हैं। हो सकता है कि मार्केट द्वारा विकास में कमी आने की संभावना पर पर्याप्त रूप से विचार नहीं किया जा रहा है। इसकी वजह से निकट भविष्य में आगे डाउनवर्ड रिवीज़न की स्थिति आ सकती है। पुराने आंकड़ों की तुलना में भारतीय बाज़ारों के लिए मौजूदा मल्टीपल्स उच्च हैं (एमएससीआई इंडिया सूचकांक फॉरवर्ड पीई के ~21 गुना स्तर पर ट्रेड कर रहा है)
इस नोट में पखासतौर से यह बताया गया है कि भारत एवम पूरे पूरी दुनिया में “गुणवत्ता” कारक के लिए 2022 चुनौतीपूर्ण रहा है, परमुख रूप से US में जहाँ साल 2008 के बाद इसने सबसे बुरे सालों में से एक का अनुभव किया है। लेकिन साल 2007 से “गुणवत्ता” कारक सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले कारकों में से एक रहा है, और “वृद्धि की गतिशीलता” के बाद दूसरे नंबर पर रहा। इस बात पर गौर करना जरूरी होगा कि इससे पहले इसकी रिकवरी तेज़ होने की बजाय अक्सर धीमी रही है। इसके विपरीत “मूल्य” और “वृद्धि की गतिशीलता” वाले कारक अधिक उल्लेखनीय उतार-चढ़ाव प्रदर्शित करने की प्रवृत्ति रखते हैं। इसलिए हमें इन व्यवहारों के संबंध में अधिक सजग रहने की ज़रूरत है।

जबकि कमोडिटी कीमतों की भावी गतिविधियों, सेंट्रल बैंक नीतियों, लिक्विडिटी के स्तर और कोविड-19 के प्रभाव के बारे में अनुमान लगाना स्वाभाविक है, वहीं डीएसपी ने नोट में यह उल्लेख किया है कि ज़्यादातर निवेशकों की सफलता पर इन कारकों का कोई महत्वपूर्ण असर नहीं होगा। इसकी बजाय निर्णायक क्षणों में महत्वपूर्ण गलतियाँ टालना, निवेश अनुशासन बनाए रखना और अस्थिरता के निश्चित स्तर के साथ ही उच्च इक्विटी रिटर्न्स प्राप्त होते हैं।