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साइबर सुरक्षा: डिजिटल से आगे, राष्ट्रीय सुरक्षा का अहम हिस्सा

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लखनऊ । साइबर सुरक्षा (डिजिटल) ‘I4C’ के पहले स्थापना दिवस पर बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि, ‘साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए 1930 हेल्पलाइन नंबर और ‘I4C’ के प्लेटफॉर्म्स को जन-जन तक पहुँचाना बेहद जरूरी है। बीते 9 वर्षों में विचार से इनिशिएटिव और इनिशिएटिव से इंस्टिट्यूशन में बदल चुका ‘I4C’ आज देश की साइबर सुरक्षा का एक मजबूत स्तंभ बन चुका है।

इस मौके पर शाह ने ‘I4C’ के चार प्रमुख प्लेटफॉर्म्स – सस्पेक्ट रजिस्ट्री, साइबर कमांडो, साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटर और को-ऑर्डिनेशन प्लेटफार्म – का शुभारंभ भी किया, जो साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई को सफल बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देंगे।’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में साल 2015 में सेफ साइबर स्पेस अभियान के तहत ‘I4C’ की स्थापना हुई थी। साल 2019 में गृह मंत्री बनने के बाद अमित शाह की अगुआई में ‘I4C’ साइबर सुरक्षित भारत का मजबूत स्तंभ बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

यह सर्वविदित है कि टेक्नोलॉजी इस दुनिया के लिए वरदान है तो अभिशाप भी है। टेक्नोलॉजी के बढ़ते उपयोग से आज देश ही नहीं दुनिया भर में कई खतरे पैदा हो रहे हैं, इसलिए यह स्पष्ट है कि साइबर सुरक्षा अब केवल डिजिटल दुनिया तक सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का अहम पहलू भी है।

ग्लोबल विलेज के इस दौर में यह भी तय है कि कोई भी एक संस्था अकेले साइबर स्पेस को सुरक्षित नहीं रख सकती। यह तभी संभव है जब कई स्टेकहोल्डर्स एक ही मंच पर आकर एक ही रास्ते पर आगे बढ़ें। क्योंकि, राज्यों या देशों की अपनी सीमा है लेकिन इंटरनेट और टेक्नोलॉजी पर आधारित साइबर अपराध या साइबर अपराधियों की कोई सीमा नहीं है।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और साइबर सेफ भारत के लिए प्रतिबद्ध अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में देश के 72 से अधिक टीवी चैनल्स, 190 रेडियो एफएम चैनल्स, सिनेमाघरों और कई अन्य प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से ‘I4C’ एक जन-जागरूकता अभियान शुरू करने जा रहा है। क्योंकि, जब तक ठगी के शिकार हुए पीड़ित को साइबर अपराध से बचने का तरीका नहीं पता होगा तब तक यह अभियान सफल नहीं हो सकता।

एक आँकड़े के अनुसार, 31 मार्च, 2014 तक देश में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 25 करोड़ थी, जो 31 मार्च, 2024 तक बढ़कर 95 करोड़ हो गई है। डिजिटल इंडिया पहल के कारण जहाँ 35 करोड़ जन-धन खाते और 36 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड जैसी सर्विसेज आसान हुई है, वहीं साल 2024 में 20 लाख 64 हजार करोड़ रुपये का UPI लेन-देन भी संभव हो पाया है। साल 2014 में देश की मात्र 600 पंचायत इंटरनेट से जुड़ी थीं, आज 2,13,000 पंचायत जुड़ी हैं।

यह स्वाभाविक है कि जब डिजिटल अकाउंट और डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ते हैं, तो डिजिटल फ्रॉड से सुरक्षा की ज़रूरत भी बहुत अधिक बढ़ जाती है। आज देश ही नहीं पूरी दुनिया के सामने साइबर अपराधियों द्वारा व्यक्तिगत डेटा की बिक्री, ऑनलाइन उत्पीड़न, महिला और बाल शोषण, फर्जी समाचार और टूल किट, मिस इनफॉरमेशन कैंपेन जैसी चुनौतियाँ मौजूद हैं।

मोदी जी की दूरदर्शिता और अमित शाह की नीतियों के तहत ‘I4C’ साइबर अपराध की तमाम चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है। ‘I4C’ ने 600 से अधिक एडवाइजरी जारी की हैं, साइबर अपराधियों द्वारा संचालित कई प्रकार की वेबसाइट्स, सोशल मीडिया पेज, मोबाइल एप्स और अकाउंट्स को ब्लॉक किया है।

मेवात, जामताड़ा, अहमदाबाद, हैदराबाद, चंडीगढ़, विशाखापट्टनम और गुवाहाटी में सात ज्वाइंट साइबर को-आर्डिनेशन टीम्स गठित की गई हैं। लेकिन जैसा कि अमित शाह भी मानते हैं कि कोई अकेला इससे नहीं निपट सकता, बल्कि सभी स्टेकहोल्डर्स और देश की जनता को मिलकर यह लड़ाई लड़नी होगी।

भारतीय राजनीति के चाणक्य और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नीतियों के तहत भारत आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद, और नशा के खिलाफ अंतिम चरण की लड़ाई लड़ रहा है। ऐसे में अब यह मान लेना चाहिए कि शाह के कुशल मार्गदर्शन में भारत साइबर अपराध से मुक्त होगा।

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Author: theswordofindia

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