नवी मुंबई : पुलिस कमिश्नरेट में शहर से लापता minors खासकर 14 से 17 साल की लड़कियों की संख्या में तेज़ी से increase देखी गई है। इस साल 1 जनवरी से 31 जुलाई तक नाबालिगों के लापता होने के कुल 333 मामले दर्ज किए गए हैं।
नवी मुंबई के मानव तस्करी विरोधी प्रकोष्ठ (AHTU) ने इनमें से 292 बच्चों का सफलतापूर्वक पता लगा लिया है, जबकि 40 का अभी तक पता नहीं चल पाया है। लापता हुए 333 बच्चों में से 237 लड़कियाँ और 96 लड़के हैं, जो लापता लड़कियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है।
जाँच से पता चलता है कि इनमें से कई लड़कियों को प्यार या शादी के झूठे वादे करके बहकाया गया था, और कुछ की तो शादी भी हो चुकी है, जो छल-कपट की एक Worried करने वाली प्रवृत्ति को उजागर करता है। 96 लापता लड़कों में से 86 मिल गए और अपने परिवारों से मिल गए।
ज़्यादातर पढ़ाई को लेकर डाँट-फटकार, मोबाइल गेम खेलने की सीमित पहुँच, या छोटे-मोटे पारिवारिक झगड़ों के कारण घर छोड़कर चले गए थे। जांच से पता चला कि लापता होने के निम्नलिखित कारण हैं:
रोमांटिक रिश्तों के कारण 79 बच्चे घर से बाहर चले गए। 58 लोग रिश्तेदारों के पास रहने चले गए। 50 लोग बिना किसी को बताए घूमने निकल गए। 23 दोस्तों के साथ पाए गए। 1 मानसिक रूप से विक्षिप्त था। 1 को एडीआर (दुर्घटनाजन्य मृत्यु रजिस्टर) के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया था।
कुछ बच्चों ने कथित तौर पर केवल रोमांच की तलाश में घर छोड़ा था, तथा उन मामलों में किसी दुर्भावनापूर्ण संलिप्तता का संदेह नहीं था। झुग्गी-झोपड़ियों में ज़्यादा घटनाएँ: ज़्यादातर अपहरण के मामले घनी आबादी वाली झुग्गी-झोपड़ियों और निम्न-मध्यम वर्गीय इलाकों में हुए, जिनमें रबाले, तुर्भे, कोपरखैराने, पनवेल, तलोजा और खारघर पुलिस थानों में सबसे ज़्यादा मामले दर्ज किए गए। कमिश्नरेट के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले अन्य क्षेत्रों में कम मामले दर्ज किए गए।

Author: theswordofindia
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