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मुझको मेरे बाद ज़माना ढूंढेगा

मुझको मेरे बाद ज़माना ढूंढेगा

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नवी मुंबई : 14 भारतीय भाषाओं में अपनी आवाज देने वाले हिंदी फिल्म जगत के तानसेन रफी साहब की याद में 14 सितंबर की शाम सीवुड स्थित केन्द्रीय विहार के सभागृह में ‘मुझको मेरे बाद ज़माना ढूंढेगा ‘ नामक एक कराओके संगीत संध्या का आयोजन शर्ली जोसेफ और स्टीफन जोसेफ के सहयोग से सम्पन्न हुआ।

यह संध्या शर्ली जी के माता-पिता श्रीमती और श्री बंगेरा जी की याद में आयोजित की गई थी। गणेश वंदना के उपरांत नवी मुंबई के वॉइस ऑफ मुकेश कहे जानेवाले लीलाधर ने कार्यक्रम का आगाज़ करते हुए कार्यक्रम की बागडोर संचालक डॉ. राज को सौंपी।

चराग़ दिल का जलाओ से ‘राज की बात कह दूं तो तक के गीतों की झड़ी ने सभी संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस संगीत संध्या के मंच को करीब बारह गायक गायिकाओं ने अपने सुरों से सजाया। इसकी विशेषता यह थी

कि इसमें जहां एक ओर सत्तर वर्षीय गायक अपने गीतों के द्वारा अपने अनुभव का लोहा मनवा रहे थे तो वहीं  दूसरी ओर उनके कंधे से कंधा मिलाती सत्रह वर्षीय उभरती गायिका हर्षिता भी कम नहीं पड़ी।

कलाकार के रूप में सतीश गुने, सतीश परब, नरेंद्र राणे, राजन नार्वेकर, स्टीफन जोसेफ, लिओ एंथोनी, तनुजा सिंग, देविका भट्ट, गायत्री सरना, प्रिया गोले, खदीजा हरनेसवाला और हर्षिता भट्ट थे। संगीत प्रेमियों को सभी कलाकार में रफी की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी।

मुझको मेरे बाद ज़माना ढूंढेगा

जिसके पीछे कारण स्वयं रफी साहब थे क्योंकि वे हर अभिनेता के लिए अपनी आवाज को इस प्रकार बदलते थे कि पर्दे पर ऐसा लगता जैसे वो अभिनेता स्वयं गा रहा हो, डॉ राज ने अपने संचालन के द्वारा जिसे स्पष्ट किया।

अंत में चंद्रकांत परब द्वारा सभी का आभार प्रदर्शित किया गया। तकनीकी इंजीनियर का आभार प्रदर्शित करते हुए उन्होंने कहा कि बिना ध्वनि इंजिनियर के हमारी आवाज संगीत प्रेमियों तक नहीं पहुंच सकती थी।

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Author: theswordofindia

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