लखनऊ : इंफर्टिलिटी के बारे में ज्यादातर बात मेडिकल पहलुओं से शुरू होती है, जैसे की हॉर्मोन लेवल, एग काउंट, प्रोसीजर और परिणाम। लेकिन अधिकतर दंपत्तियों के लिए इस सफर का भावनात्मक असर कहीं गहरा होता है।
डॉ. सौम्या कुलश्रेष्ठा, फ़र्टिलिटी स्पेशलिस्ट, बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ, लखनऊ बताती हैं कि चिंता, असफलता का डर, रिश्तेदारों के सवालों का दबाव और लगातार बनी हुई बेचैनी ये सब मिलकर व्यक्ति को भीतर तक थका देते हैं।
भारत के अलग-अलग हिस्सों में हुए अध्ययन ने इस मानसिक दबाव को संख्याओं में समझाने की कोशिश की है। एक अध्ययन में पाया गया कि फर्टिलिटी ट्रीटमेंट ले रहे 46.2% जोड़ों में एंग्जाइटी के लक्षण थे और 40.9% में डिप्रेशन के संकेत।
दक्षिण भारत के एक टर्शरी अस्पताल में किए गए एक अन्य अध्ययन के अनुसार, ट्रीटमेंट ले रहे 46% से अधिक पुरुषों ने डिप्रेस्ड महसूस किया, 51% को एंग्जाइटी हुई और 59.5% ने अपने साइकिल्स के दौरान मानसिक स्ट्रेस की बात कही। यह केवल आंकड़ें नहीं हैं।
इन आंकड़ों के पीछे हैं असली लोग, जो हर महीने उम्मीद और निराशा के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। भावनात्मक स्ट्रेन इलाज के फैसलों को भी प्रभावित कर सकता है।
कई जोड़े देर से क्लिनिक पहुंचते हैं या बीच में ट्रीटमेंट छोड़ देते हैं, न कि इसलिए कि मेडिकल साइंस ने जवाब दे दिया, बल्कि इसलिए कि वे मानसिक रूप से थक चुके होते हैं।
तनाव शरीर के हॉर्मोनल बैलेंस को भी प्रभावित करता है, जिससे ट्रीटमेंट का असर कम हो सकता है। यह याद दिलाता है कि मन और शरीर एक-दूसरे से अलग नहीं हैं।
इसीलिए काउंसलिंग को शुरुआत से ही ट्रीटमेंट का हिस्सा बनाना चाहिए, न कि एक विकल्प के रूप में रखना चाहिए। किसी काउंसलर से बात करना जोड़ों को अपनी भावनाओं को समझने, उम्मीदों को संतुलित रखने और एक-दूसरे का सहयोग करने में मदद करता है। रिसर्च यह भी दिखाती है
कि जिन्हें भावनात्मक समर्थन मिलता है, वे बेहतर तरीके से ट्रीटमेंट का सामना करते हैं और उसे पूरा करने की संभावना अधिक होती है। इसी कमी को पहचानते हुए, बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ ने शुरू किया है
फर्टिलिटी सर्कल – एक अनोखी टोल-फ्री सपोर्ट लाइन जो नि:शुल्क और बिना रिकॉर्ड किए जाने वाली फर्टिलिटी काउंसलिंग सेवाएं प्रदान करती है।
यह एक सुरक्षित और नॉन-जजमेंटल स्पेस है, जहाँ व्यक्ति या जोड़े बिना झिझक अपने डर, दुख या तनाव के बारे में खुलकर बात कर सकते हैं। वन-ऑन-वन काउंसलिंग के माध्यम से फर्टिलिटी सर्कल का उद्देश्य है
लोगों को गाइडेंस, भावनात्मक सहारा और ट्रांसपेरेंसी प्रदान करना चाहे वे पैरेंटहुड की योजना बना रहे हों, कोशिश कर रहे हों, ट्रीटमेंट पर विचार कर रहे हों या सिर्फ फर्टिलिटी से जुड़ी जिज्ञासाएं समझना चाहते हों।

इंफर्टिलिटी सिर्फ एक मेडिकल सफर नहीं है। यह एक भावनात्मक, सामाजिक और व्यक्तिगत अनुभव भी है। इसलिए सच्ची देखभाल वही है, जो सिर्फ दवा से नहीं बल्कि सुनने से शुरू होती है।
Author: theswordofindia
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