मुंबई : मोदी सरकार मनरेगा योजना में तथाकथित “सुधारों” के नाम पर करोड़ों ग्रामीण गरीबों से काम करने का संवैधानिक अधिकार छीन रही है। मनरेगा का नाम बदलना केवल एक प्रशासनिक फैसला नहीं है,
बल्कि यह महात्मा गांधी, ग्राम स्वराज और श्रमिकों की गरिमा का अपमान है। यह कदम गरीब परिवारों के साथ गंभीर अन्याय है। मोदी सरकार द्वारा मनरेगा में किया गया बदलाव गांव-खेतों में रहने वाले गरीबों के पेट पर लात मारने जैसा है।
यह तीखा हमला अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव और सांसद कुमारी शैलजा ने किया। मुंबई कांग्रेस कार्यालय में सांसद कुमारी शैलजा ने मनरेगा और नेशनल हेराल्ड के मुद्दों पर आयोजित पत्रकार परिषद को संबोधित किया।
इस अवसर पर मुंबई कांग्रेस के प्रवक्ता एवं मीडिया समन्वयक श्री सुरेशचंद्र राजसंह तथा पूर्व नगरसेविका एवं महिला कांग्रेस की मुंबई अध्यक्ष श्रीमती ट्यूलिप मिरांडा उपस्थित थीं।
कुमारी शैलजा ने आगे कहा कि देश के गरीबों को उनका अधिकारपूर्ण रोजगार मिले, इसी उद्देश्य से सोनियाजी गांधी के दूरदर्शी नेतृत्व और मार्गदर्शन में डॉ. मनमोहन सिंह सरकार ने यह योजना शुरू की थी।
गरीबों को काम की आवश्यकता थी और मनरेगा के माध्यम से उन्हें काम करने का अधिकार मिला—यह एक ऐतिहासिक योजना है। 100 दिनों के रोजगार की गारंटी देने वाली यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खटकती रही।
संसद में प्रधानमंत्री ने मनरेगा को “खड्डे खोदने का काम” और “कांग्रेस का जीवित स्मारक” कहकर बेहद निम्न स्तर की टिप्पणी की थी। लेकिन कोविड संकट के दौरान यही योजना देश के लाखों गरीबों का मजबूत सहारा बनी।
भाजपा सरकार मनरेगा के जरिए न केवल महात्मा गांधी का नाम मिटाने की कोशिश कर रही है, बल्कि गरीबों की आजीविका और रोजगार भी छीन रही है। यह गरीबों के साथ घोर अन्याय है।
नेशनल हेराल्ड मामले पर बोलते हुए कुमारी शैलजा ने कहा कि मोदी सरकार ने कांग्रेस पार्टी को बदनाम करने के उद्देश्य से जांच एजेंसियों का राजनीतिक हथियार के रूप में दुरुपयोग किया।

वर्षों तक, बिना किसी अपराध के, कांग्रेस नेतृत्व—सोनियाजी गांधी और राहुलजी गांधी—को जानबूझकर निशाना बनाया गया, मीडिया ट्रायल कराया गया और जांच के नाम पर अनावश्यक उत्पीड़न किया गया। माननीय न्यायालय ने इस शिकायत पर संज्ञान न लेते हुए याचिका खारिज कर दी।
अदालत द्वारा मामला खारिज किया जाना स्पष्ट करता है कि यह पूरा प्रकरण कानून से नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित था।
न्यायालय का यह फैसला भाजपा सरकार द्वारा संस्थाओं के दुरुपयोग, एजेंसियों पर राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल के लिए दबाव बनाने और विपक्ष की आवाज दबाने की राजनीति के मुंह पर करारा तमाचा है।
सोनियाजी गांधी, राहुलजी गांधी और कांग्रेस पार्टी को बेवजह बदनाम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को इस्तीफा देना चाहिए—यह मांग सांसद कुमारी शैलजा ने की।
Author: theswordofindia
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