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हत्याहरण तीर्थ मे श्रद्धांलुओं ने किया स्नान

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द स्वार्ड ऑफ़ इण्डिया

हरदोई । भाद्रमास के पहले रविवार को प्रसिद्ध हत्याहरण तीर्थ पर श्रद्धालुओं का सुबह से शाम तक तांता लगा रहा। लोग परिवार के साथ आकर तीर्थ में स्नान कर हनुमान मंदिर में माथा टेक कर परिवार की सलामती की कामना की।पंडित मनोज कुमार द्विवेदी भाद्र मास के रविवारों का महत्व बताते हुए कहा कि इस महीने में पड़ने वाले रविवारों पर स्नान, दान, पूजा करने से प्रभु राम के भक्त हनुमानजी विशेष कृपा करते हैं। शिवजी प्रसन्न होते हैं। वर्ष भर जाने अनजाने में मन, वाणी, कर्म व वचन और पापों से मुक्ति मिलती है। मेले के अध्यक्ष राकेश कुमार ने तीर्थ में नाव न डला कर तीर्थ के चारों तरफ रस्सी बंधवाई थी।इस तीर्थ का जीर्णोद्वार 28 मई 1939 को श्रीमती जनक किशोरी देवी पत्नी स्वर्गीय ठाकुर जनन्नाथ सिंह सुपुत्र ठाकुर शंकर सिंह रईस की याद में कराया गया था। जगन्नाथ सिंह काकूपूर के जमींदार थे।पौराणिक हत्याहरण तीर्थ पर हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी सुरक्षा की व्यवस्था में कोतवाली पुलिस के साथ-साथ डेढ़ सेक्शन पीएसी, उप निरीक्षक व महिला पुलिस की तैनाती गई हैं।कार्यवाहक चौकी प्रभारी अविनाश पाठक ने मेला में पुलिस बल के साथ सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया।

मले मे नीमसार के भैरमपुर से आयी महिला के गले से गिराहकाटो ने काटी चैन

त्याहरण तीर्थ पर प्रथम रविवार को दर्शन करने पहुंची रामदेवी निवासी भैरम पुर थाना नीमसार ने बताया कि मेरे गले मे पड़ी 10 ग्राम सोने की चैन को गिराहकाटो ने काट कर भाग गए।

स्वस्थ्य विभाग टीम ने श्रद्धांलू भक्तो का किया उपचार

पौराणिक तीर्थ हत्याहरण मे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोथावा की ओर से प्रार्थमिक विद्यालय हत्याहरण मे कैम्प लगा था। जिसमे स्वस्थ्य विभाग से आये टीम मे संदीप कुमार(फरमासिस्ट),शि वम सि हं (ट्रैनी फार्मासि स्ट),प्रि सं (ट्रैनी फार्मा सि स्ट) ,इमामउद्दीन (RBSK),धर्मेन्द्र (वार्ड बॉय) ने श्रद्धांलू भक्तो व दूरदराज से आये हुए लोगो का बेहतर उपचार किया।

सीओ के आदेशों का नहीं हुआ पालन

शुक्रवार रात सीओ हरियावा संतोष कुमार ने हत्याहरण तीर्थ पर सुरक्षा की दृष्टि को देखते हुए मेला परिसर के प्रमुख मंदिरो व स्थानों पर कैमरा लगाने का निर्देश कोतवाल दिनेश यादव को दिए थे। लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से मेला परिसर मे कैमरे नहीं लगवाये गए।

मेले में बच्चों ने लिया आनंद

तीर्थ स्थल पर भारी मेला लगा था। झूले जिसमें कई प्रकार के शामिल थे जिस पर बच्चों ने झूल कर मेले का आनंद लिया। मेले में विभिन्न प्रकार की लंगी दुकानें पर जमकर खरीददारी की। मेले में बहराइच, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़,प्रयागराज सीतापुर, लखनऊ, लखीमपुर, हरदोई, कन्नौज, कानपुर तक के श्रद्धालु बसों से आए थे।

भगवान शिव ने जलकुंड का नाम रखा था प्रभाष्कर

सतयुग में एक बार माता पार्वती के साथ भगवान शिव अर्यान्य जंगल की खोज में निकले थे। वह नैमिषारण्य में रुके हुए थे तब यहां एक सुंदर वन था। शिव जी यहां तप करने लगे। माता पार्वती जंगल में भ्रमण कर रही थीं तभी उनको प्यास लगी। आस पास कहीं जल नहीं मिला।ऐसी विषम परिस्थितियों में उन्होंने देवताओं से जल लाने का आग्रह किया। भगवान सूर्य कमण्डल में जल लेकर उपस्थित हुए। जब माता पार्वती जलपान कर रही थीं।उस समय कमंडल से कुछ बूंदें धरती पर गिर गयीं।वहां एक जलकुंड बन गया।जब शिव-पार्वती उस स्थान से जाने लगे। तब शिव ने इस जलकुंड का नाम प्रभास्कर क्षेत्र रखा।

त्रेतायुग मे इसी तीर्थ का नाम पड़ा हत्याहरण

त्रेता युग में यहीं पर भगवान श्री राम ने ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति के लिए स्नान किया था। भगवान श्री राम ने कहा था इस तीर्थ में जो ब्रह्महत्या के पाप से पीड़ित व्यक्ति स्नान करेगा। वह इस दोष से मुक्त हो जाएगा। तब से तीर्थ हत्या हरण के नाम से प्रसिद्ध है।

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