मुंबई : एनसीपी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को एक बार फिर बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। इस बार पार्टी की ज़मीन पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड में खिसक गई है,
जहां अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के सभी सात विधायक पार्टी छोड़कर राज्य की सत्ताधारी पार्टी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) में शामिल हो गए हैं।
इस अप्रत्याशित घटनाक्रम ने एनसीपी के केंद्रीय नेतृत्व को झकझोर कर रख दिया है। नागालैंड में एनसीपी की पूरी विधानसभा इकाई का टूटना पार्टी के लिए एक गंभीर राजनीतिक संकट का संकेत माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह फूट न केवल संगठनात्मक कमजोरी को उजागर करती है, बल्कि अजित पवार के नेतृत्व की स्वीकार्यता पर भी सवाल उठाती है।
यह वही सात विधायक हैं जिन्होंने 2023 में एनसीपी के विभाजन के बाद अजित पवार गुट का समर्थन किया था। उस समय माना जा रहा था कि ये विधायक पार्टी को पूर्वोत्तर में मजबूत आधार देने में सहायक होंगे।
मगर अब जब सभी एक साथ एनडीपीपी में शामिल हो गए हैं, तो यह स्पष्ट है कि एनसीपी पूर्वोत्तर में अपना प्रभाव खो चुकी है।
दिलचस्प बात यह है कि इन विधायकों ने पार्टी छोड़ने का जो तर्क दिया है — जैसे स्थायी सरकार में बने रहना और क्षेत्रीय विकास को प्राथमिकता देना — वही तर्क अजित पवार ने महाराष्ट्र में सत्ता में शामिल होने के समय दिए थे।
इससे पार्टी के भीतर एक विचारधारा की अस्पष्टता और नेतृत्व में द्वंद्व भी उजागर होता है।एनसीपी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पहले ही चुनाव आयोग द्वारा रद्द किया जा चुका है।
इसे वापस पाने के लिए पार्टी को कम से कम चार राज्यों में न्यूनतम वोट प्रतिशत और सीटों की शर्तें पूरी करनी होंगी।
नागालैंड में इकाई के टूटने से यह रास्ता और कठिन हो गया है।राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह घटनाक्रम एनसीपी की राष्ट्रीय पुनर्निर्माण रणनीति पर गहरा असर डालेगा।
पार्टी के पास अब बहुत सीमित राज्य बचे हैं जहां वह स्वतंत्र रूप से प्रभावी भूमिका निभा रही है। इससे न केवल अजित पवार की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठे हैं,
बल्कि यह भी संकेत मिल रहा है कि उनके साथ जुड़े क्षेत्रीय नेता भी अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।एनसीपी की इस ताज़ा फूट से यह साफ होता जा रहा है
कि पार्टी के लिए एकजुटता बनाए रखना और देशभर में अपनी पकड़ मजबूत करना फिलहाल एक दूर की कौड़ी है। आने वाले दिनों में पार्टी की संगठनात्मक दिशा और रणनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

Author: theswordofindia
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