झारखंड : मधुपुर विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के उम्मीदवार हफिजुल हसन ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के गंगा नारायण सिंह को हराकर शानदार जीत दर्ज की है।
इस चुनाव में हफिजुल हसन ने अपने प्रतिद्वंद्वी को 20,027 वोटों के बड़े अंतर से हराया। चुनाव परिणाम ने झामुमो की स्थिति को मजबूती प्रदान की है, जबकि बीजेपी को इस सीट पर एक और हार का सामना करना पड़ा है।
मधुपुर विधानसभा सीट पर परिणाम शनिवार को घोषित किए गए। हफिजुल हसन ने कुल 1,43,953 वोट प्राप्त किए, जबकि बीजेपी के गंगा नारायण सिंह को 1,23,926 वोट मिले।
यह उपचुनाव इस लिहाज से महत्वपूर्ण था क्योंकि यह 2021 में झामुमो के हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद खाली हुई सीट पर हुआ था।
इस चुनाव में हफिजुल हसन ने पार्टी के साथ अपनी प्रतिबद्धता को साबित करते हुए पार्टी को एक और महत्वपूर्ण जीत दिलाई है।
मतगणना की प्रक्रिया :-
मधुपुर सीट की मतगणना शनिवार सुबह 8 बजे शुरू हुई थी। शुरुआती रुझानों में बीजेपी के गंगा नारायण सिंह ने बढ़त बनाई थी, लेकिन जैसे-जैसे मतगणना का दौर बढ़ा, झामुमो के हफिजुल हसन ने अपनी बढ़त को मजबूत किया।
पहले राउंड से लेकर 14वें राउंड तक, हफिजुल हसन की स्थिति लगातार मजबूत होती गई। 3.30 बजे तक 14 राउंड की काउंटिंग पूरी हो गई थी और हफिजुल हसन 4,129 वोटों के साथ आगे चल रहे थे।
इस चुनाव में हफिजुल हसन की बढ़त ने यह साबित कर दिया कि झारखंड में विपक्षी दलों की स्थिति को झामुमो लगातार मजबूती से चुनौती दे रहा है।
बीजेपी के गंगा नारायण सिंह को शुरू में मामूली बढ़त थी, लेकिन बाद में वे पीछे हो गए और उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा।
मधुपुर सीट का चुनावी इतिहास :-
मधुपुर विधानसभा सीट पर पिछले कुछ वर्षों में पार्टी विशेष के उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। 2000 के दशक की शुरुआत में यह सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के हाथ में रही, जब हाजी हुसैन अंसारी ने 1995 और 2000 में चुनाव जीतने में सफलता हासिल की थी।
2005 में भारतीय जनता पार्टी के राज पलीवार ने इस सीट पर कब्जा किया था, जबकि 2009 में फिर से झामुमो के हाजी हुसैन अंसारी ने वापसी की और जीत दर्ज की।
2014 में यह सीट बीजेपी के राज पलीवार के पास आई, लेकिन 2019 में एक बार फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपना प्रभाव स्थापित किया।
2021 में हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें हफिजुल हसन ने जीत दर्ज की और विधायक बने।
नतीजों के बाद का राजनीतिक परिप्रेक्ष्य :-
हफिजुल हसन की जीत ने झारखंड में एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा राज्य की प्रमुख ताकत बनी हुई है।
इस चुनावी परिणाम से यह भी संकेत मिलता है कि बीजेपी को अब तक इस सीट पर अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाना कठिन हो सकता है।
विशेषकर जब हफिजुल हसन जैसे मजबूत नेता की उपस्थिति हो, जो न केवल पार्टी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हैं, बल्कि जनता के बीच भी अपनी पकड़ बनाए रखते हैं।
इस उपचुनाव में बीजेपी की हार ने राज्य में विपक्षी खेमे को उत्साहित किया है, वहीं झामुमो के कार्यकर्ताओं में जीत की खुशी का माहौल है। आगामी विधानसभा चुनावों में भी यह परिणाम महत्वपूर्ण साबित हो सकता है,
जहां झामुमो और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है। मधुपुर की इस चुनावी जंग ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जनता की नब्ज को समझकर ही चुनावी मैदान में सफलता मिल सकती है।
Author: theswordofindia
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