मुंबई : भारत-पाक युद्ध” कांग्रेस के पूर्व नेता और राजनीतिक विश्लेषक संजय निरुपम ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी के भारत-पाकिस्तान युद्ध को लेकर दिए गए बयान पर तीखा हमला बोला है।
उन्होंने कहा कि देश में कुछ लोग युद्ध नहीं चाहते, लेकिन इसका कारण उनका पाकिस्तान के प्रति झुकाव है, न कि शांति की भावना।
निरुपम ने आरोप लगाया कि “भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध न हो, यह मांग वो लोग कर रहे हैं जिनकी सोच जिहादी और दंगाई प्रवृत्ति की है।
अरशद मदनी की संवेदनाएं भारत से अधिक पाकिस्तान के साथ जुड़ी दिखती हैं। उन्हें डर है कि यदि युद्ध हुआ तो भारत पाकिस्तान को पूरी तरह बर्बाद कर देगा।
उन्होंने आगे कहा कि “इस्लाम एक विस्तारवादी विचारधारा वाला धर्म है, जिसने दुनिया के कई हिस्सों में दूसरे धर्मों का संतुलन बिगाड़ा है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि धर्मांतरण के ज़रिए इस्लाम ने खुद का विस्तार किया है। निरुपम ने मदनी के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने सिंधु जल समझौते को लेकर भारत सरकार को संयम बरतने की सलाह दी थी।
इस पर निरुपम ने कहा, “मदनी साहब को इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए कि सिंधु नदी का पानी देवबंद पहुंचेगा या नहीं। इसके अलावा, संजय निरुपम ने जनसंख्या संतुलन के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी।
उन्होंने कहा, “आजादी के समय भारत में मुस्लिम आबादी 3 करोड़ थी, जो अब 20 करोड़ हो चुकी है। हिंदुओं ने इंदिरा गांधी के समय परिवार नियोजन अपनाया, लेकिन मुस्लिम समाज ने इसे नहीं अपनाया।
नतीजन देश की जनसांख्यिकी बदल रही है। निरुपम ने यह भी जोड़ा कि अरशद मदनी को ऐसे संवेदनशील मामलों पर ज्यादा विश्लेषण करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे उनकी भूमिका पर संदेह उत्पन्न हो सकता है।

Author: theswordofindia
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