मुंबई : मुंबई के दक्षिणी हिस्से में स्थित ऐतिहासिक दो टंकी सुन्नी मस्जिद बिलाल, ईदगाह मैदान में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ एक विशाल जनसभा का आयोजन किया गया।
इस सभा ने न केवल मुस्लिम समुदाय की चिंताओं को आवाज़ दी, बल्कि एकजुट होकर इस विवादित कानून के विरोध की नई शुरुआत का संकेत भी दिया।
इस सभा की अध्यक्षता ख़ानक़ाह आलिया कछौछा मुक़द्दसा के सज्जादा नशीन और ऑल इंडिया सुन्नी जमीयत-उल-उलमा के अध्यक्ष मौलाना सैयद मुईनुद्दीन अशरफ अशरफी जिलानी ने की, जबकि कार्यक्रम की सरपरस्ती रज़ा अकैडमी और जमीयत-उल-उलमा के उपाध्यक्ष द्वारा की गई।
सभा में मुख्य वक्ता के तौर पर आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने अपनी बात रखते हुए कहा कि वक्फ संशोधन कानून पूरी तरह से मुसलमानों की धार्मिक और सामाजिक संपत्तियों पर हमला है।
उन्होंने तर्कसंगत ढंग से बताया कि यह कानून भारतीय संविधान की मूल भावना के भी खिलाफ है। संजय सिंह ने कहा कि संविधान की धारा 25 और 26 हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने और धार्मिक संपत्तियों का उपयोग धार्मिक कार्यों में करने की पूर्ण आज़ादी देती हैं। लेकिन नया वक्फ संशोधन कानून इन अधिकारों पर सीधा अतिक्रमण करता है।
उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार कैसे तय करेगी कि कौन व्यक्ति धार्मिक कार्य कर रहा है और कौन नहीं? उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि पांच साल तक नियमित रूप से धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने की शर्त न केवल अनुचित है, बल्कि असंवैधानिक भी है।
भावुक अंदाज़ में उन्होंने कहा कि क्या सरकार हर मुसलमान के घर में सीसीटीवी लगाएगी ताकि यह तय किया जा सके कि वह नमाज़ पढ़ता है या नहीं?
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि सरकार को वाकई मुसलमानों की भलाई करनी है तो पहले देश से भागे अरबपति नीरव मोदी को वापस लाएं और उससे वसूली करके वह पैसा मुसलमानों की तरक्की पर खर्च करें।
सभा में मौलाना मुईन मियां ने दो टूक शब्दों में कहा कि वक्फ संशोधन का यह काला कानून किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह कानून वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा को खतरे में डाल देगा और सरकार को यह अधिकार मिल जाएगा कि वह इन संपत्तियों को अपने किसी भी पसंदीदा व्यक्ति या संस्था को दे दे।
उन्होंने जोर देकर कहा कि वक्फ संपत्ति हमारी धार्मिक विरासत है और उसकी हिफाज़त करना हमारा धार्मिक और सामाजिक फर्ज है।
हम इस कानून के खिलाफ आखिरी दम तक संघर्ष करेंगे।हाजी मोहम्मद सईद नूरी ने इसे वक्फ संपत्तियों पर सीधा हमला बताते हुए कहा कि मुसलमानों को इस साजिश के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना होगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह लड़ाई सिर्फ एक समुदाय की नहीं बल्कि देश की सेक्युलर पहचान को बचाने की लड़ाई है।
विधायक अमीन पटेल ने कहा कि मुईन मियां शुरू से इस कानून के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं और उन्होंने इस मुद्दे को एक आंदोलन का रूप दे दिया है।
यह कानून मुसलमानों के अधिकारों को सीमित करने के उद्देश्य से लाया गया है, और हम इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेंगे।
इस जनसभा में मौलाना अमानुल्लाह रज़ा, मौलाना अब्बास, निज़ामुद्दीन राईन सहित बड़ी संख्या में उलमा, इमाम, बुद्धिजीवी और आम लोग मौजूद थे।
सभी वक्ताओं ने एक स्वर में इस कानून को वापस लेने की मांग की और सरकार को चेताया कि यदि इसे रद्द नहीं किया गया तो देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
सभा का समापन दुआ और एकता के संकल्प के साथ हुआ, जिसमें यह ऐलान किया गया कि वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए कोई भी कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटेंगे।

Author: theswordofindia
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