कानपुर : 9 लोगो की जान लेने वाला बाघ प्रशांत अब इस दुनिया में नही रहा 19 वर्ष की उम्र में प्रशांत ने अपनी अंतिम सांस ली। उद्यान के मीडिया प्रभारी विश्वजीत सिंह तोमर के अनुसार, प्रशांत को 2010 में फर्रुखाबाद जिले से रेस्क्यू करके कानपुर लाया गया था।
उस समय उसकी उम्र पांच साल थी और वह नौ लोगों की मौत का कारण बन चुका था। इस घटना के बाद उसे सुरक्षित स्थान पर रखने के लिए कानपुर प्राणी उद्यान में भेजा गया था, जहां उसने अपना शेष जीवन बिताया।
प्रशांत का स्वास्थ्य कुछ समय से खराब चल रहा था। उम्र के साथ बढ़ती बीमारियों के कारण उसकी स्थिति बिगड़ती चली गई, जिसके चलते गुरुवार को उसकी मृत्यु हो गई।
इस खबर से प्राणी उद्यान के कर्मचारी और अधिकारी भी दुखी हैं, क्योंकि प्रशांत ने लंबे समय तक उद्यान में अपना जीवन बिताया था और यहाँ के लोगों के साथ उसका एक खास रिश्ता बन गया था।
बाघ प्रशांत की मृत्यु के बाद प्राणी उद्यान के अधिकारियों ने उसकी मौत के कारणों का पता लगाने के लिए चार डॉक्टरों का एक पैनल गठित किया। पैनल ने प्रशांत का पोस्टमार्टम किया और उसके विसरा को आगे की जांच के लिए बरेली भेजा
पोस्टमार्टम के बाद उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। अब कानपुर प्राणी उद्यान में बाघों की संख्या घटकर दस रह गई है, जिनमें चार नर और छह मादा बाघ शामिल हैं।
प्रशांत के जीवन की कहानी खास थी। उसे कम उम्र में ही लोगों के लिए खतरा समझा जाने लगा था, और उसकी हिंसक प्रवृत्ति के कारण उसे जंगल से हटाना पड़ा था।
हालांकि, प्राणी उद्यान में आने के बाद वह शांत रहा और उसने बाकी का जीवन बिना किसी और घटना के बिताया। उसकी मृत्यु ने एक युग के अंत को दर्शाया है, क्योंकि वह कानपुर प्राणी उद्यान के सबसे पुराने बाघों में से एक था।
प्रशांत की कहानी ने बाघों के संरक्षण के महत्व को भी रेखांकित किया है। ऐसे पशुओं के लिए प्राणी उद्यान एक सुरक्षित आश्रय स्थल के रूप में कार्य करता है, जहां वे एक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं।
Author: theswordofindia
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