मुंबई : बहुत प्राचीन है हिंदी पत्रकारिता की आदि परम्परा।पौराणिक आख्यानों में नारद जी को आदि संपादक माना गया है।वे देवताओं,असुरों और मनुष्यों के बीच विचरण करते थे और एक दूसरे की खबरों को सत्यता,निर्भीकता के साथ बताते थे।
इसी तरह महाभारत के संजय पहले युद्ध संवाददाता थे।वे अंधे राजा धृतराष्ट्र को युद्ध का आंखों देखा हाल बताते थे।सच सच।जस का तस।उन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त थी।
यह विचार कथाकार,पत्रकार हरीश पाठक ने मणिबेन नानावटी महिला महाविद्यालय और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त तत्वावधान में इंडोनेशिया के आईजीबी सुग्रीव स्टेट हिन्दू विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित सातवें अंतरराष्ट्रीय मानविकी और सामाजिक विज्ञान सम्मेलन के द्विदिवसीय सम्मेलन के पहले दिन के पहले सत्र में ‘हिंदी पत्रकारिता की आदि परम्परा’ पर अपना व्याख्यान देते हुए व्यक्त किये।
उन्होंने कहा ‘नारद जी और संजय की पत्रकारिता सच की,तथ्यों की और निर्भीकता पर टिकी पत्रकारिता थी।आज हिंदी पत्रकारिता पर साख का संकट है।
प्रसार व प्रचार में वह बहुत आगे हैं पर उसका प्रभाव कम होता जा रहा है’। लेखक डॉ राजगोपाल वर्मा ने ‘स्वतंत्रता संग्राम की भुला दी गयीं नायिकाओं’ पर अपने विचार रखे।इस सत्र की अध्यक्षता मेहर मिस्त्री ने व आभार ट्विंकल सांघवी ने व्यक्त किया।
महाविद्यालय की संस्थापक व प्रथम प्राचार्या स्वर्गीय मणि कामरेकर की जन्म शताब्दी पर यह कान्फ्रेन्स आयोजित किया गया ।इसमें देश विदेश के शिक्षाविद,विद्ववानों, पत्रकारों और विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।जिनमें इंडोनेशिया के पद्मश्री डॉ अगुस इंद्रा उदयाना भी शामिल थे।
आयोजन के मुख्य अतिथि डॉ ओमजी उपाध्याय,विशिष्ट अतिथि अभिनेता समीर धर्माधिकारी थे।पुनीत मिश्र (बैंक ऑफ बड़ौदा) व डॉ प्रमोद पांडेय (दिल्ली) ने अलग अलग सत्रों में अपने विचार रखे।डॉ रवींद्र कात्यायन ने संयोजन व प्राचार्या डॉ राजश्री त्रिवेदी ने अतिथियों का स्वागत किया।

Author: theswordofindia
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