सैय्यद जाहिद अली रियासत
मुंबई : इस्लाम धर्म को लेकर अक्सर समाज में गलतफहमियां फैलाई जाती हैं, जबकि सच्चाई यह है कि इस्लाम अमन, इंसाफ़ और मध्यमता (एतिदाल) का धर्म है। इसमें किसी भी तरह के अतिवाद, उग्रवाद या हिंसा की कोई जगह नहीं है।
इस्लाम का अभिवादन “अस्सलामु अलैकुम” यानी “तुम पर अमन हो” खुद इस धर्म के मूल संदेश को स्पष्ट करता है। क़ुरआन और नबी-ए-करीम ﷺ की शिक्षाओं के अनुसार किसी व्यक्ति को जबरन अपने विचार या धर्म को मानने पर मजबूर करना हराम और ग़ैर-इस्लामी है।
इस्लाम ज़ुल्म, जबरदस्ती और नफ़रत से नहीं, बल्कि सब्र, हिकमत, इंसानियत और मोहब्बत से फैलता है। नबी मुहम्मद ﷺ को “रहमतुल-लिल-आलमीन” यानी समस्त जगत के लिए रहमत के रूप में भेजा गया था।
उन्होंने इंसाफ़, रहमदिली और भाईचारे का जो संदेश दिया, वही इस्लाम की असल पहचान है। इस्लाम यह सिखाता है कि इंसान का काम बस संदेश पहुँचाना है,
जबकि हिदायत देना सिर्फ़ अल्लाह के हाथ में है। इसलिए दूसरों पर अपनी राय, आचरण या विचार थोपना इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ़ है। पैग़ंबर ﷺ ने जंग के दौरान भी औरतों, बच्चों और कैदियों के प्रति रहम और न्याय का आदेश दिया।
यह इस बात का प्रमाण है कि इस्लाम हिंसा नहीं, बल्कि मानवता और शांति की राह दिखाता है। आज जब दुनिया के कुछ हिस्सों में आतंकवाद और कट्टरता के नाम पर इस्लाम को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है,
ऐसे समय में इस्लाम के असली पैग़ाम एतिदाल (मध्यमता) और इंसाफ़ को फिर से ज़िंदा करने की ज़रूरत है। पैग़ंबर मुहम्मद ﷺ ने कहा था,

मेरी उम्मत एक मध्यम और न्यायप्रिय उम्मत है।” यानी इस्लाम का मार्ग संतुलन और न्याय का है, अतिवाद का नहीं। भारत के मुसलमान हमेशा से देश की एकता, शांति और विकास के सच्चे सहभागी रहे हैं। आज़ादी की लड़ाई से लेकर राष्ट्र निर्माण तक, मुस्लिम समाज ने हर मोर्चे पर अपना योगदान दिया है। इस्लाम का असली पैग़ाम यही है अमन, भाईचारा और इंसानियत।
अंततः, याद रखना चाहिए
एतिदाल हर बीमारी की दवा है,
और अतिवाद हर दवा की बीमारी।
Author: theswordofindia
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