लखनऊ । गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर अपनी बात रखते हुए कहा कि “पढ़ने का चश्मा अगर विदेशी है तो संविधान में भारतीयता कभी दिखाई नहीं देगी।
उन्होंने भारतीय राजनीति के ऐतिहासिक संदर्भ में यह स्पष्ट किया कि भारतीयता को समझने के लिए हमें भारतीय दृष्टिकोण से ही संविधान को देखना होगा। यह बयान शाह ने भारतीय राजनीति और संविधान में बदलावों के इतिहास पर चर्चा करते हुए दिया।
अमित शाह ने भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) की सरकार के 16 सालों और कांग्रेस की 55 सालों के शासन के दौरान संविधान में किए गए बदलावों की तुलना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने 55 साल के शासनकाल में 77 बार संविधान में संशोधन किया, जबकि भाजपा ने 22 बार संविधान में बदलाव किए हैं।
यह अंतर पार्टी के दृष्टिकोण और संविधान के प्रति उनके विश्वास को दर्शाता है। गृह मंत्री ने नेहरू जी के कार्यकाल में हुए पहले संविधान संशोधन को याद करते हुए कहा कि यह 18 जून, 1951 को हुआ था, जब 19 ए को जोड़ा गया, जिसका उद्देश्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नियंत्रित करना था।
इंदिरा गांधी के शासनकाल में भी संविधान में कई संशोधन हुए, जिनमें 24वां और 39वां संशोधन शामिल थे, जिन्होंने नागरिकों के मौलिक अधिकारों को सीमित किया और प्रधानमंत्री के पद की न्यायिक जांच पर प्रतिबंध लगा दिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार द्वारा किए गए संविधान संशोधनों का उल्लेख करते हुए अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू करके भारतीय अर्थव्यवस्था में एक नया सुधार किया।
इसके बाद 102वां संशोधन किया गया ताकि नेशनल कमीशन ऑफ बैकवर्ड क्लास को संवैधानिक दर्जा दिया जा सके। इसके अलावा 12 जनवरी 2019 को सरकार ने 10 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की और हाल ही में 28 दिसंबर 2023 को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के तहत महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया।
अमित शाह ने भारतीय राजनीति में कांग्रेस की भूमिका पर भी सवाल उठाए और कहा कि कांग्रेस कभी संविधान को सच्चे अर्थों में सम्मानित नहीं कर पाई। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस एक हाथ से ओबीसी के आरक्षण का विरोध करती है, जबकि दूसरे हाथ से मुसलमानों को आरक्षण देने की वकालत करती है, जो असंवैधानिक है।
शाह ने कांग्रेस की नीतियों को देश के संविधान के खिलाफ बताते हुए कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ की शुरुआत संविधान आने के बाद तुष्टिकरण की नीति का हिस्सा थी।अमित शाह ने देश की आज़ादी के बाद भारत की स्थिति को भी रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि 200 साल की गुलामी के बाद जब भारत स्वतंत्र हुआ, तब दुनिया के राजनीतिक पंडितों का मानना था कि यह देश कभी एकजुट नहीं हो पाएगा और आर्थिक रूप से कभी आत्मनिर्भर नहीं होगा। लेकिन आज, संविधान के 75 वर्ष बाद, भारत एक ताकतवर और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में खड़ा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का आत्मविश्वास बढ़ा है और देश दुनिया में अपनी पहचान बना रहा है। इस प्रकार, अमित शाह ने भारतीय संविधान के प्रति अपने दृढ़ विश्वास को व्यक्त करते हुए यह संदेश दिया कि संविधान का सम्मान केवल उस पर किए गए बदलावों से नहीं, बल्कि उसे सही दृष्टिकोण से समझने और लागू करने से होता है।
Author: theswordofindia
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