नई दिल्ली : भारतीय रेलवे अपने यात्रियों को स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता वाले बेडरोल (चादर, तकिए, और कंबल) प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। यात्रियों की सुविधा और स्वच्छता के स्तर को बढ़ाने के लिए रेलवे बोर्ड ने साफ-सफाई के नियमों में बदलाव किए हैं।
अब कंबलों की धुलाई की अवधि पहले के तीन महीने से घटाकर 15 दिन कर दी गई है। हालाँकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में यह अवधि 20 से 30 दिन तक बढ़ाई जा सकती है। उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी श्री हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि सभी वातानुकूलित कोचों में साफ और स्वच्छ बेडरोल की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
चादरों और तकिया कवर को हर उपयोग के बाद मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री में धोकर इस्त्री किया जाता है, जिससे यात्रियों को आरामदायक और स्वच्छ यात्रा अनुभव मिले। विशेष प्रयास के तहत, उत्तर रेलवे ने गाड़ी संख्या 12424 नई दिल्ली-डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस में अल्ट्रा वायलेट तकनीक का उपयोग करके कंबलों का कीटाणुशोधन किया।
परीक्षण में 99.7% की सफलता प्राप्त हुई। प्रत्येक राउंड ट्रिप के बाद कंबलों को यूवी कीटाणुशोधन प्रक्रिया से गुजारा जाता है और उनकी गुणवत्ता की जांच लैब में की जाती है। उत्तर रेलवे ने बेडरोल से जुड़ी शिकायतों में कमी लाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
मैकेनाइज्ड लॉन्ड्रियों में उच्च गुणवत्ता वाले सफाई उत्पादों का इस्तेमाल किया जाता है और सफाई प्रक्रिया की निगरानी सीसीटीवी और प्रशिक्षित स्टाफ के माध्यम से की जाती है। सफाई के स्तर की जांच के लिए “व्हाइटोमीटर” का भी उपयोग किया जाता है।
इसके साथ ही, समय-समय पर पुराने लिनेन को बदलकर नए सेट्स की खरीद की जाती है। रेलवे मुख्यालय और मंडल स्तर पर 24×7 निगरानी के लिए वार रूम स्थापित किए गए हैं, जो यात्रियों से प्राप्त फीडबैक और शिकायतों पर कार्य करते हैं। रेलवे यात्रियों को सुरक्षित, स्वच्छ और आरामदायक यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
(हिमांशु शेखर उपाध्याय)
मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी
Author: theswordofindia
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