मुंबई : महाराष्ट्र के गौरव और सुपुत्र भूषण गवई जब देश के सरन्यायाधीश बने, तो संपूर्ण महाराष्ट्र को उन पर गर्व हुआ।
लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि उसी राज्य की भाजपा गठबंधन सरकार और अधिकारियों ने उनका अपमान किया। उनके लिए निर्धारित संवैधानिक प्रोटोकॉल का पालन न कर उनके पद की गरिमा को ठेस पहुँचाई गई। यह न केवल महाराष्ट्र, बल्कि देश के संविधान और न्याय व्यवस्था का अपमान है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाना पटोले ने इस गंभीर मुद्दे पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है, सरन्यायाधीश के प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर अपमान करने वाले अधिकारियों पर सरकार क्या कार्रवाई करने जा रही है?
पत्रकारों से बात करते हुए पटोले ने कहा कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और सरन्यायाधीश इन सभी के लिए विशेष प्रोटोकॉल होता है।
उनके दौरे की पूर्व सूचना दी जाती है। लेकिन महाराष्ट्र सरकार के अधिकारी कह रहे हैं कि उन्हें सूचना नहीं थी, यह तर्क स्वीकार नहीं किया जा सकता।
सरन्यायाधीश गवई के प्रति राज्य सरकार का रवैया सवाल खड़े करता है, क्या अंबेडकरी विचारधारा से आने के कारण उनका अपमान किया गया?
या यह राज्य के शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर हुआ? यह बात जनता के सामने स्पष्ट होनी चाहिए। महाराष्ट्र की यह भूमि शिव, शाहू, फुले और आंबेडकर की विचारधारा की है,
और ऐसे राज्य में एक अंबेडकरी विचार के व्यक्ति का सरन्यायाधीश बनना गर्व का विषय है। पटोले ने यह भी कहा कि यदि राज्य सरकार सच में समानता और सर्वधर्म समभाव में विश्वास करती है,
तो महात्मा ज्योतिबा फुले के जीवन पर आधारित ‘फुले’ फिल्म को टैक्स फ्री घोषित किया जाए। जब कई अन्य फिल्मों को टैक्स फ्री किया गया है,
तो इस फिल्म के साथ भेदभाव क्यों?नोहर जैन तथा अतुल जैन जैसे अनेक पूर्व छात्र भी कार्यक्रम में शामिल हुए। सभी ने विद्यालय में बिताए अपने स्वर्णिम पलों को याद करते हुए भावनात्मक अनुभव साझा किए। मिलन समारोह का समापन इस वादे के साथ हुआ कि इस प्रकार के आयोजन नियमित रूप से किए जाएंगे, ताकि पुरानी मित्रता को नई ऊर्जा मिलती रहे।

Author: theswordofindia
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