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आजादी से पहले भारत की जैसी कल्पना महात्मा गांधी ने की थी उसको धरातल पर उतरने का कार्य विनोबा भावे ने किया

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आर एल पाण्डेय 

द स्वॉर्ड ऑफ़ इंडिया

लखनऊ । विनोबा भावे भारत के सामाजिक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा प्रसिद्ध गांधीवादी विचार धारा नेता थे। भावे ने गरीब लोगों की सहायता के लिए अभियान चलाकर गरीबों के लिए भूमि का दान मांगने का अदभुत कार्य किया। विनोबा भावे ने आजादी से पहले भारत की जैसी कल्पना एवं परिकल्पना महात्मा गांधी ने की थी उसको धरातल पर उतरने का कार्य विनोब जी ने किया।

उक्त विचार विनोबा सेवा आश्रम बरतारा शाहजहॉंपुर के ओपेन अहिंसा प्रेक्षाग्रह में विनोबा विचार प्रवाह द्वारा संत विनोबा भावे की 129वीं जयंती पर रामहरि समागम के मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश राज्य के उपमुख्य मंत्री श्री बृजेश पाठक ने सैकड़ों लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि विनोबा जी भूदान पदयात्रा के माध्यम गांव-गांव पहुंचकर लोगों की भीड़ इक्टठा कर लोगों से बात करते थें उस समय माइक और स्टेज नहीं होते थे।

फिर भी इस धरती पर कुछ ऐसे सन्त हुए है जो साधारण वस्त्र पहनकर भी समाज के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर देते है। गांव के लोगों को दान का महत्व समझाते हुए भूमि का छठा हिस्सा मांगते थे इस देश की जनता में ही ये ताकत थी कि रामदीन नाम के गरीब व्यक्ति ने आधा वीघा जमीन से लेकेर राजा दरभंगा द्वारा एक लाख एकड़ जमीन का दान किया गया। जिसके फलस्वरूप सुई की नोक भर जमीन न मिलने वाले देश में 45 लाख एकड़ जमीन भूमिवानों द्वारा दी गई जो 15 लाख से ज्यादा भूमिहीनों को वितरित भी भूदान यात्रा के दौरान की गयी।

श्री पाठक ने कहा कि विनोबा भावे ने गांधी जी के साथ मिलकर भारत देश को सुधारने का महान्तम कार्य किया। गांधीवादी संत विनोबा भावे के संदेश लोगों को आज भी प्रेरित करते हैं। विनोबा जी ने अपने कार्यों से हजारों लोगों का जीवन बदला यहां तक कि चमबल घाटी के 129 डांकुओं का आत्म समर्पण भी कराया।

भारत के युवा आज भी विनोबा भावे के विचारों को अपनाकर जीवन में कई सकारात्मक बदलाव कर सकते हैं। मुझे कहते प्रसन्नता हो रही है कि इसी गांधी विनोबा की परम्परा को आगे बढ़ाने का काम जयेश भाई, रमेश भइया, विमला बहन, सुधीर भाई, कर रहे है।

मुख्यमंत्री ने गांव गरीब और सेवाभाव की बात करते हुए कहा कि विनोबा भावे ने सेवा कार्य के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उन्हें हमेशा ही चिन्ता रहती थी। हमारे देष के गांव में खुशहाली कैसे आये उनका मनना था कि भारत गांव में बसता है।

समागम की अध्यक्षता करते हुए गांधी आश्रम अहमदाबाद के मुख्य ट्रस्टी श्री जयेश भाई पटेल ने कहा की विनोबा भावे का जीवन प्रेरणा से भरा हुआ है। उन्होंने अपने बारे में बताया कि हम अपनी पत्नी अनारबेन के साथ इंग्लैड में रहते थे वहां पैसा बहुत था पर प्यार नहीं था, संसाधन बहुत थे, पर संतोष नहीं था । उनके पिता पद्मश्री ईश्वर भाई पटेल ने उन्हें स्वाच्छता का काम करने के लिए उन्हें भारत बुला लिया और 125 शौचालयों की सफाई हमकों सौपी तब हमें सेवाभाव का अर्थ समझ में आया।

अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवेश कराते हुए, आश्रम की संरक्षक विमला बहन ने कहा कि हम सौभाग्यशाली है कि गांधी आश्रम साबरमती विनोबा विनोबा आश्रम की तपोस्थली पर पहुंचा है, बाबा ने लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती का निर्माण करने, जननी माता, गो-माता, धरती माता की उपासना करने, बालक, बृद्व, विधवा, विकलांग, बीमार की सेवा करने का आशीर्वाद दिया था। जो 44 वर्ष में विनोबा सेवा आश्रम ने पूरा कर दिखाया है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सेवाधाम उज्जैन के प्रमुख श्री सुधीर भाई गोयल ने अपने सम्बोधन में कहा कि विनोबा ने सेवा का जो पथ हमें दिखाया है उसी मार्ग पर चल कर हम जैसे छोटे लोग जन्म से लेकर मृत्यू शैया पर जाने वाले महारोगियो की सेवा का व्रत निर्वाह कर पा रहें है। विशिष्ट अतिथि पानी संस्थान अयोध्या के श्री भारत भूषण ने कहा कि विनोबा के सहयोगी धीरेन्द्र मजूमदार का आशीर्वाद लेकर गत चार दशक से धीरेन्द्र पुरी बना कर के महिला उत्थान का कार्य कर पा रहे है।

विशिष्ट अतिथि श्री अजय पाण्ड़े संचालक राष्ट्रीय यूवा योजना ने कहा कि हम सबके अराध्य श्री सुब्बाराव भाई जी विनोबा जी के काम को पूरी दुनिया में कर रहे थे। उनका कार्य हम सब भी करेंगे।

गांधी भवन लखनऊ के सचिव श्री लाल बहादुर राय ने कहा, कि प्रत्येक गांधी जयंती और गांधी जी की पुण्यतिथि के कार्यक्रमों में माननीय उपमुख्य मंत्री जी पूरे श्रद्वाभाव से आते हैं इसलिए वह हमारे परिवार के आदमी है। विषिष्ट अतिथि विनोबा गोसेवा सदन के अध्यक्ष श्री ओमकार मनीषी,

विनोबा सेवा आश्रम इण्टर कालेज के अध्यक्ष श्री केशव चन्द्र मिश्रा, सर्वोदय आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती उर्मिला श्रीवास्तव को भी विनोबा विचार प्रसार हेतु अंगवस्त्र से मुख्यअतिथि द्वारा सम्मानित किया गया।

रामहरि समागम की परिकल्पना को बताते हुए विनोबा विचार प्रवाह के सूत्रधार रमेश भइया ने कहा विनायक से विनोबा, विनोबा भावे से विनोबा तथा जीवन के अंतिम बारह वर्ष विनोबा नाम का भी अहंकार छोड़ते हुए रामहरि हस्ताक्षर करना प्रारम्भ किया। उनके मन में प्रतिक्षण रामहरि का जाप चलता रहता था। विनोबा जितने अधिक अध्यात्मिक थे उतने ही बडे बडे ग्राम स्वाराज्य , भूदान बाहय प्रयोग भी उन्होंने किये।

इससे पूर्व उत्तर प्रदेश सरकार के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने विनोबा सेवा आश्रम द्वारा संचालित स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से सचल संजीवनी चिकित्सा बैन – डा. संजीव कुमार चालक कमलेष प्रेमी तथा रिलायंस के सहयोग से सचल पैथालोजी लैब – टेक्नीषियन संतोष कुमार – चालक अलीहसन को हरी झंडी दिखाकर विनोबा जयंती से गांधी जयंती तक सेवा के लिए रवाना किया। विनोबा आश्रम में लगे सीतापुर नेत्र षिविर का निरिक्षण किया।

गांधीजी एवं विनोबा जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए विनोबा जीवन दर्षन वृहत प्रदर्षनी भवन का अनावरण कर जनता को समप्रित किया। भ्रमण के दौरान मुख्य अतिथि ने स्वाबलंबन समुहो द्वारा निर्मित सॉॅफट टॉय, जलकुम्भी के बैग, तथा पिंकी सक्सेना द्वारा बने मिट्टी के फलों को देखा।

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