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एक शाम सैय्यद सलाउद्दीन (दुबई) के नाम

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गोरखपुर ( दुबई ) एक शाम सैय्यद सलाउद्दीन (दुबई) के नाम एदारा कलमकार परिषद के तत्वधान में मियां साहब इस्लामिया इंटर कॉलेज गोरखपुर के ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ अंतरराष्ट्रीय मुशायरा कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए चौधरी के कैफुलवरा साहब ने कहा कि सैय्यद सलाहुद्दीन किसी परिचय के मोहताज नहीं है उन्होंने सात समुंदर पार जो उर्दू और हिंदी भाषा की सेवा की है और उसके लिये जो निरंतर कोशिश की है इसकी जितनी भी सराहना की जाये वह कम होगी |

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दुबई से आये हुए सैय्यद सलाहुद्दीन ने संम्बोधित करते हुआ कहा कि गोरखपुर शहर हमेशा से साहित्य की धरती रही है और इसने अनेकों साहित्यकारों और कलमकारों को पैदा किया है जिन्होंने अपनी सेवा से पूरी दुनिया में गोरखपुर शहर का नाम रोशन किया है

एदारा कलमकार परिषद की जानिब से इस अवसर पर सैयद सलाउद्दीन साहब (दुबई )को सर सैयद अवार्ड,

उनकी अदबी और सामाजिक खिदमात पर गोरखपुर ने यह अवार्ड देते हुए फख्र महसूस किया

साथ ही साथ सैयद सलाउद्दीन साहब का सिपास नामा भी पढ़ा गया

और उनके शान में लिखी गई नजम इरशाद निजामी ने पढ़ा

मलिक जदा जावेद की शेरी सलाहियत को देखते हुए जफर गोरखपुरी अवार्ड दिया गया

डॉक्टर साकिब हारुनी को प्रोफेसर अंजुम इरफानी अवार्ड उनकी अदबी खिदमत पर दिया गया

और डॉक्टर अना देहलवी को परवीन शाकिर अवार्ड दिया गया

कार्यक्रम का संचालन अंतर्राष्ट्रीय शायर डॉक्टर दिलशाद गोरखपुरी ने बखुबी अंजाम दिया

यह मुशायरा 9:00 बजे रात से शुरू होकर सुबह के 3:00 बज के 45 मिनट तक अपने आन बान शान से चला रहा

सामइन ने खूब जमकर सुना और और सभी शाेरा को दादाे तहसीन से नवाजा़

डॉक्टर दिलशाद गोरखपी के इस शेर को लोगों ने बहुत पसंद किया

कांटो भरे जीवन का सफर काट रहे हैं

कांटा नहीं जाता है मगर काट रहे हैं

 

जिस पर लोगों ने खूब तालियां बजाई और वाह वाही की |

इस अवसर पर डाक्टर अना देहलवी ने पढ़ा,

लगभग 1 घंटे तक अना देहलवी को लोगों ने खूब जमकर सुना और यह शेर उनका बहुत पसंद किया गया

तुम्हारी यादों के चंद आंसू हमारी आंखों में पल रहे हैं |

न जाने केसे हैं ये मुसाफ़िर न रुक रहे हैं न चल रहे हैं ||

मलिक जदा जावेद ने लगातार कई गज़लें सुनाएं और बहुत कीमती कीमती शेर सुनाएं लोगों ने बहुत पसंद किया

जो दूसरों से गजल काहलवा के लाते हैं|

जुबां खुली तो तलाफ्फुज़ से मार खाते हैं ||

डॉक्टर साकिब हारुनी ने पढ़ा,

लफ्जों मनी कभी मजमून में उतर भी करो

तुम दिलो जान मेरे खून में उतर भी करो

रजी अहमद फैज़ी ने पढ़ा,

अश्क में तैरती तस्वीर कहां ले जाऊं

तुझको आंखों में छुपाते हुए थक जाता हूं ।

इरशाद अजीज ने पढ़ा,

हम अपने गम का तमाशा नहीं करने वाले

तुम्हारा नाम का चर्चा नहीं करने वाले

दुबई के मेहमान शायर जावेद नियाजी ने पढ़ा,

तन्हाइयों में अक्सर हमने यही किया है तस्वीर एक बनाकर तेरा नाम लिख दिया है।

साथ ही साथ आसिफ सफवी (कानपुर),शरीफ शाहबाज,आशिक रायबरेली ,चांदनी मुस्कान (मुंबई) ,शादाब आज़मी,असद मेहताब, इब्राहिम अली (जयपुर),असद आज़मी (आजमगढ़), तनवीर जलालपुरी दीदार बस्तवी,अनवर जिया,नसीम सलेमपुरी,मिन्नत गोरखपुरी आदि ने काव्य पाठ किया।

इस मौक पर एदारा कलमकार परिषद के अध्यक्ष डॉक्टर साजिद हुसैन अंसारी और कन्वीनर नदीमुल्ला अब्बासी नदीम साहब शमीम शहजाद साहब ने तमाम मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।

गोरखपुर के इस आदमी प्रोग्राम को देखते हुए तमाम गोरखपुर के अदब की दुनिया में चाहने वालों का शुक्रिया अदा किया।

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Author: theswordofindia

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