लखनऊ । विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने लखनऊ के कल्याणपुर निवासी मुकेश मिश्रा को राज्य स्तरीय पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
इस सम्मान समारोह का आयोजन लोक भवन में हुआ, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पिछड़ा वर्ग एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री नरेंद्र कश्यप ने उन्हें अंगवस्त्र, मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।मुकेश मिश्रा ने इस पुरस्कार को लेकर अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह सम्मान उनके लिए गर्व का क्षण है
और दिव्यांगजनों को समाज में नई प्रेरणा प्रदान करेगा। मुख्यमंत्री ने उनके योगदान की सराहना करते हुए कहा कि समाज को ऐसे व्यक्तियों की आवश्यकता है जो अपने संघर्ष और सेवा से अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बनें।
जन्म से पूरी तरह स्वस्थ रहे मुकेश मिश्रा ने अपनी युवावस्था में खेल और शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। उनके पिता, पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त निरीक्षक राकेश मिश्रा, उनके आदर्श थे।
16 वर्ष की आयु में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण वे पैरालाइज्ड हो गए और दो साल तक बिस्तर पर रहे। डॉक्टरों ने उनके दोबारा चलने की संभावना को खारिज कर दिया था।
लेकिन मुकेश ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से न केवल चलने की क्षमता वापस पाई, बल्कि अपने जीवन को एक नई दिशा दी।मुकेश ने मास कम्युनिकेशन में परास्नातक किया और पत्रकारिता के चुनौतीपूर्ण क्षेत्र को चुना।
उन्होंने कई प्रमुख अखबारों में कार्य किया और 2018 में “आधुनिक दौर” पत्रिका के उप संपादक बने। इसके साथ ही, उन्होंने सामाजिक कार्यों में अपनी गहरी रुचि दिखाई।
कोविड महामारी के दौरान उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना 20 से अधिक वैक्सीनेशन कैंप आयोजित करवाए और जरूरतमंदों एवं जानवरों की मदद की।
उनकी सक्रियता और सेवा भावना को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें दिव्यांग प्रकोष्ठ अवध क्षेत्र का संयोजक नियुक्त किया। इस भूमिका में उन्होंने हजारों दिव्यांगजनों को उपकरण उपलब्ध कराकर उनकी जिंदगी को आसान बनाया।
उन्होंने समाज के लिए कई बड़े आयोजन भी किए, जिनमें “मास्टरशेफ ऑफ लखनऊ” प्रमुख था। मुकेश मिश्रा को अब तक 300 से अधिक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
राज्य स्तरीय पुरस्कार को उन्होंने अपने जीवन का सबसे बड़ा सपना बताया और इसके लिए अपने माता-पिता के संस्कारों और अपनी पत्नी चंद्रा मिश्रा के समर्थन को श्रेय दिया।
उनके दो बेटे, कृष्ण और उज्जवल, उनके लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। मुकेश मिश्रा ने कहा कि दिव्यांगजनों के लिए शिक्षा और रोजगार बहुत आवश्यक हैं।
शिक्षित दिव्यांग न केवल आत्मनिर्भर बन सकता है, बल्कि समाज की सच्ची सेवा भी कर सकता है। आज मुकेश मिश्रा उत्तर प्रदेश के 11 लाख से अधिक दिव्यांगजनों के लिए एक जीती-जागती मिसाल हैं।

Author: theswordofindia
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